नही है कण कण में भगवान

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*नही है कण कण में भगवान*


*ईश्वर कण कण में नहीं है क्योंकि👇*
 *१.अगर परमात्मा कण कण में है तो लोग मंदिरों में क्यों जाते हैं।*

*२.अगर ईश्वर कण कण में है तो उनके शिवलिंग के रूप की पूजा क्यों होती है।*

*३.मनुष्य उन्हें कष्ट हरने के लिये क्यों पुकारते हैं।*

*४.शिवरात्रि का त्योहार क्यों मनाया जाता है।*

*५.अगर ईश्वर.कण कण में है.तो गीता का ज्ञान कैसे देते।?*

६.अगर ईश्वर कण कण में है तो
 भक्ति,ज्ञान,योग सभी का खण्डन हो जाता है क्योंकि आज का मनुष्य तो स्नेह से कोसों दूर है।सब जगह स्वार्थ है।

*७. मनुष्य इतने दुखी और पतित न होते।*

*८.लोग यात्रा पर किसके दर्शन के लिए जाते हैं।*

*९.आज मनुष्य इतना पथ भ्रष्ट न होते।*

*१०.चारों युगों का कोई औचित्य ही नहीं होता।*

*११.आज मानव का चरित्र कुछ और होता।*

*१२.तो महाभारत का युद्ध नहीं होता।*

*१३.तो आज स्त्रियों का इतना अपमान न होता जो द्रोपदी का हुआ।*

*१४.भगवान कण कण में है तो ईश्वर कौन से सत्य धर्म की स्थापना करने की बात करते?*

*१५.तो देवता तथा असुरों की लड़ाई का क्या औचित्य है।*

*१६.तो इतने सारे धर्मों की स्थापना का कोई प्रश्न ही नहीं उठता।*

*१७.गीता में ऐसा क्यों लिखा है कि जब जब धर्म की अति ग्लानि होती है तब तब मैं एक सत्य धर्म की स्थापना करने आता हूं।*

*१८.तो फिर क्यों कहते हैं कि सबका मालिक एक।*

*१९.तो फिर अमरनाथ पर कौन से शिव ने कौन सी पार्वती को कथा सुनाई।*

*२०. तो एक भिखारी को उसके अंदर का भगवान उसे चैन से रोटी खाने की बुद्धि क्यों नहीं देता।*

*२१. अगर पशुओं में भी भगवान है तो जब किसी को सांप डसता है तो क्या भगवान अपनी ही रचना को डस रहा है।*

*२२.अगर एक खुनी, बलात्कारी में भी भगवान है तो वो उसे गलत कर्म करने से क्यों नहीं रोकता।*

*२३.जब परमात्मा की बात करते हैं तो अंगुली का इशारा उपर की तरफ ही क्यों होता है।*

*२४.अगर भगवान सर्वव्यापी है तो मनुष्य क्यों कहते हैं कि भगवान ही सुख देता है तो दुःख भी वही देता है।*

*२५. मनुष्य मंदिर में जाकर क्यों मांगते हैं लोगों से मांगें पत्थर ठिक्कर से मांगें न।*

*२६.तीर्थ यात्राओं का चलन बढ़ता ही क्यों जा रहा है।*

*२७.अगर भगवान सबमें है तो इतने हवन यज्ञ आदि करने की क्या आवश्यकता है।*

*२८.तो रावण को क्यों जलाते हैं उस रावण में भी तो भगवान होने चाहिए।*

*२९.तो हिसाब से सभी को सम्पन्न होना चाहिए फिर कुछ लोग गरीब क्यों हैं।*

*३०.तो प्रत्येक व्यक्ति को निरोगी होना चाहिए कभी कहते सुना कि भगवान या देवी देवता बीमार हैं।*

*३१.तो फिर अकाल मृत्यु क्यों हो रही है।*

*३२.अगर भगवान सबमें है तो जब एक कसाई जानवरों को काटता पीटता है तो क्या ये भगवान का कर्म है।*

*३३.हम सभी का रहने का अपना स्थान है तो क्या ये संभव है कि ईश्वर कण कण में होगा उनका कोई निवास स्थान नहीं होगा।*

*३४.अगर ईश्वर मुझमें है मेरे अपनों में है तो हममें से किसी को भी झूठ ईष्या गलत भावना या गलत संकल्प नहीं आने चाहिए।*

*३५.हमारे साथ कुछ भी गलत नहीं होना चाहिए।*

*३६.अगर सबमें ईश्वर है तो क्या मनुष्यों की इतनी दुर्गति संभव है ?*

*३७.क्या ईश्वर किसी का मर्डर, चोरी या किसी का अपहरण कर सकते हैं।*

*३८.क्या ईश्वर झुठ बोल सकते हैं लेकिन आज मनुष्य क्या कहता है कि झुठ के बिना गुज़ारा ही नहीं है।*

*३९.अगर ईश्वर जानवरों में भी है तो जो हर बड़ा जानवर छोटे जानवरों को मारकर खा रहा है तो ये कर्म किसका?*

*४०.अगर ईश्वर पंछियों में है तो क्या कोई पंछी मारा जा सकता है जो पंछियों की संख्या इतनी कम होती जा रही है ये कर्म क्या भगवान कर रहे हैं?*

*४१.अगर ईश्वर पत्थर में भी है तो जो पत्थर रोड पर पड़े होते हैं गंदगी में भी होते हैं तो क्या ईश्वर गंदी जगह पर हो सकते हैं?*

*४२.अगर ईश्वर पत्तों में भी है तो जो पत्तों को कीड़े खा जाते हैं तो क्या ईश्वर पत्ते पत्ते में हो सकता है?*

*४३.हम दीपावली पर देवताओं को बुलाते हैं पर उससे पहले घरों की साफ सफाई करते हैं पवित्र करते हैं तो अगर देवता पवित्र स्थान पर आते हैं तो क्या ईश्वर इतनी अपवित्रता में हो सकते हैं?*

*४४.अगर परमात्मा सबके भीतर है तो आज मनुष्यों का मन शांति के लिए क्युं भटक रहा है?*

*४५.आज इंसान भगवान को ढूंढने के लिए दर दर की ठोकरें क्यों खा रहा है?*

*४६.किसी के मर जाने पर कहते हैं कि आत्मा निकल गई कभी कहा कि परमात्मा निकल गया?*

*४७.अगर आत्मा ही परमात्मा है तो ये कहावत क्यों है कि आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल सुंदर मेला कर दिया जब सतगुरु मिला दलाल।*

*४८.अगर भगवान सबमें होता तो मनुष्यों को इतनी साधना करने की आवश्यकता नहीं पड़ती।*

*४९.अंधे,लंगड़े, बहरों में भी अगर भगवान होते तो उनको इतनी दुःख भरी जिंदगी क्यों जीनी पड़ती?*

*५०.जिन लोगों की वजह से आपकी तरक्की रुक गई तो क्या उन धोखेबाजों के मन में भी भगवान विराजते हैं?*

*५१.जब दो जनों के बीच कोई झगड़ा होता है तो ऐसा क्यों कहते हैं कि 'अच्छा तुझे तो भगवान ही देखेगा' जब एक दूसरे के भीतर भगवान है ही तो कौन किसको देखेगा?*   ‌‌

*😈जितने भी वेद शास्त्र लिखे गए उसमे  हमारे पूर्वजों ने  यही बताने की कोशिश की है  कि हे मानव तू कोई भी गलत कर्म,पॉप कर्म मत कर ईस्वर हर जगह है वो तुझे देख रहा है ।उन्होंने हमें डराने के लिए ऐसा बोले है ,लेकिन इसका अर्थ यह नही की सच मे परमात्मा कण कण में है।*

*जब कोई भी महान आत्मा ,जैसे ,साईबाबा,गौतमबुद्ध, महावीर स्वामी जी,गुरुगोविन्द साहेब जी  आदि ऐसी महान दिव्य आत्माएं कण कण में नही है तो परमपिता परमेश्वर कैसे हो सकते है  जरा अपने सतविवेक से सोच कर देखिए🙏*

*जिस तरह एक राष्ट्पति, या प्रधानमंत्री, का राज देश पर चलता है।इसका   मतलब यह नही की राष्ट्पति, या प्रधानमंत्री देश के कोने कोने में है  ठीक उसी प्रकार हम सब आत्माओ का पिता परमात्मा भी परमधाम का रहने वाला है  और हम सब भी वंहा से ही इस मनुष्य लोक में  खेल खेलने के लिए आये है।जैसे ही खेल पूरा होगा, सब अपने घर परमधाम वापस चले जायेंगे।
एक बार आप खुद बहुत गहराई से इन बातों को सोच कर  फिर निर्णय लीजिये....ओम शान्ति

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