एक कदम आध्यात्मिकता कीऔर... 👣


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*एक कदम आध्यात्मिकता कीऔर...* 👣


एक बार रामानंद जी ने कबीर जी से कहा की हे कबीर आज श्राद्ध का दिन है और पितरो के लिये खीर बनानी है.
आप जाइये पितरो की खीर के लिये दुध ले आइये..
कबीर जी उस समय 9 वर्ष के ही थे..
कबीर जी दुध का बरतन लेकर चल पडे...
चलते चलते आगे एक गाय मरी हुई पडी थी..
कबीरजी ने आस पाससे घास को उखाड कर गाय के पास डाल दिया और वही पर बैठ गये...!!!

दुध का बरतन भी पास ही रख लिया...
जब काफी देर होगयी तो रामानंद ने सोचा..
पितरो को छिकाने का टाइम हो गया है...

कबीर अभी तक नही आया..
तो रामानंद जी खुद चल पडे दुध लेने...
चले जा रहे थे तो आगे देखा की कबीर जी एक मरी हुई गाय के पास बरतन रखे बैठे है...!!!

रामानंद जी बोले अरे कबीर तु दुध लेने नही गया.?
कबीर जी बोले स्वामीजी ये गाय पहले घास खायेगी तभी तो दुध देगी...!!!

रामानंद बोले अरे ये गाय तो मरी हुई है ये घास कैसे खायेगी??

कबीर जी बोले स्वामी जी ये गाय तो आज मरी है..
जब आज मरी गाय घास नही खा सकती...!!!

तो आपके 100 साल पहले मरे हुए पितर खीर कैसे
खायेगे...??

यह सुनते ही रामानन्दजी
मौन होगये..!!
उन्हें अपनी भूलका अहेसास
हुआ.!!

*माटी का एक नाग बनाके*
*पुजे लोग लुगाया*
*जिंदा नाग जब घर में निकले*
*ले लाठी धमकाया*
  
*जिंदा बाप कोई न पुजे*
*मरे बाद पुजवाया*
*मुठ्ठीभर चावल लेके*
*कौवे को बाप बनाया*

*यह दुनिया कितनी बावरी हैं*
*जो पत्थर पुजे जाय*
*घर की चकिया कोई न पुजे*
*जिसका पिसा खाय*

-संत कबीर

भावार्थ:-
जो जीवित है उनकी सेवा करो..!!
वही सच्चा श्राद्ध है.!!
🙏🙏🙏
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