ईश्वर की खोज
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ईश्वर की खोज
ईश्वर को खोजना होता है अनुभव से।
और अनुभव केवल उन्हें ही मिल सकता है
जो अपने जीवन से सारे झूठों के जाल छोड़ दें।
झूठ के जाल में अनुभव की
मछली न कभी फंसी है,
न कभी फंसती है।
और सत्य का कोई जाल नहीं होता और
अनुभव की मछली अपने आप चली आती है।
सत्य का एक आकर्षण है।
सत्य का एक अदम्य चुंबकीय आकर्षण है।
सत्य का कोई जाल नहीं होता;
सिर्फ महिमा होती है, प्रसाद होता है,
गरिमा होती है, प्रकाश होता है।
सत्य की किरणें खींच लाती हैं
परमात्मा को तुम्हारे पास।
पहला पाठ धर्म का है
कि अपने जीवन से पाखंड तोड़ो।
और यही बात तथाकथित धार्मिकों को
सबसे ज्यादा कठिन मालूम पड़ती है,
क्योंकि उनका जीवन तो पूरा का पूरा पाखंड है।
पाखंड का अर्थ है:
जो तुम नहीं जानते हो वह
जबरदस्ती अपने पर थोपे जा रहे हो।
सच्चा धार्मिक खोजी
शून्य से शुरू करता है
और पूर्ण पर पहुंच जाता है।
शून्य से शुरू करो यात्रा; विश्वास से नहीं,
शून्य से। न आस्तिक, न नास्तिक;
न हिंदू, न मुसलमान; न ईसाई,
न जैन; न बौद्ध, न पारसी--शून्य से शुरू करो यात्रा।
न भारतीय, न पाकिस्तानी; न चीनी, न जापानी--
शून्य से करो यात्रा। न गोरे, न काले;
न स्त्री, न पुरुष--शून्य से करो यात्रा।
न आस्तिक, न नास्तिक।
सारी धारणाओं को हटा दो,
चित्त को धारणाओं से मुक्त कर लो,
क्योंकि सभी धारणाएं उधार हैं।
और जो भी उधार है,
उससे नगद परमात्मा नहीं पाया जा सकता।
परमात्मा नगद है; तुम्हारा ज्ञान उधार है।
अगर तुम अपनी सारी धारणाओं
को हटा सको और अपने हृदय के
पात्र को शून्य बना सको--उसी को
मैं पात्र की तैयारी कह रहा हूं--
तो तुम्हारे भीतर का आकाश
परमात्मा को झेलने को राजी हो जाएगा,
योग्य हो जाएगा। परमात्मा को तो पुकारते हो,
लेकिन तुम तैयार नहीं हो;
परमात्मा आना भी चाहे तो कैसे आए.🌹🌹
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ईश्वर को खोजना होता है अनुभव से।
और अनुभव केवल उन्हें ही मिल सकता है
जो अपने जीवन से सारे झूठों के जाल छोड़ दें।
झूठ के जाल में अनुभव की
मछली न कभी फंसी है,
न कभी फंसती है।
और सत्य का कोई जाल नहीं होता और
अनुभव की मछली अपने आप चली आती है।
सत्य का एक आकर्षण है।
सत्य का एक अदम्य चुंबकीय आकर्षण है।
सत्य का कोई जाल नहीं होता;
सिर्फ महिमा होती है, प्रसाद होता है,
गरिमा होती है, प्रकाश होता है।
सत्य की किरणें खींच लाती हैं
परमात्मा को तुम्हारे पास।
पहला पाठ धर्म का है
कि अपने जीवन से पाखंड तोड़ो।
और यही बात तथाकथित धार्मिकों को
सबसे ज्यादा कठिन मालूम पड़ती है,
क्योंकि उनका जीवन तो पूरा का पूरा पाखंड है।
पाखंड का अर्थ है:
जो तुम नहीं जानते हो वह
जबरदस्ती अपने पर थोपे जा रहे हो।
सच्चा धार्मिक खोजी
शून्य से शुरू करता है
और पूर्ण पर पहुंच जाता है।
शून्य से शुरू करो यात्रा; विश्वास से नहीं,
शून्य से। न आस्तिक, न नास्तिक;
न हिंदू, न मुसलमान; न ईसाई,
न जैन; न बौद्ध, न पारसी--शून्य से शुरू करो यात्रा।
न भारतीय, न पाकिस्तानी; न चीनी, न जापानी--
शून्य से करो यात्रा। न गोरे, न काले;
न स्त्री, न पुरुष--शून्य से करो यात्रा।
न आस्तिक, न नास्तिक।
सारी धारणाओं को हटा दो,
चित्त को धारणाओं से मुक्त कर लो,
क्योंकि सभी धारणाएं उधार हैं।
और जो भी उधार है,
उससे नगद परमात्मा नहीं पाया जा सकता।
परमात्मा नगद है; तुम्हारा ज्ञान उधार है।
अगर तुम अपनी सारी धारणाओं
को हटा सको और अपने हृदय के
पात्र को शून्य बना सको--उसी को
मैं पात्र की तैयारी कह रहा हूं--
तो तुम्हारे भीतर का आकाश
परमात्मा को झेलने को राजी हो जाएगा,
योग्य हो जाएगा। परमात्मा को तो पुकारते हो,
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