राधा रानी की महिमा कन्स कैसे बना एक स्त्री
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*राधा रानी की महिमा*
*कन्स कैसे बना एक स्त्री*
वृषभानु कंस के अत्याचारों से तंग होकर रावल से बरसाना चले गए।
*एक बार जब कंस*
वृषभानु जी को मारने के लिए अपनी सेना सहित बरसाना की ओर चला तो
वह बरसाना की सीमा में घुसते ही
*स्त्री बन गया*
और
उसकी सारी सेना पत्थर की बन गई।
जब देवर्षि नारद बरसाना आए तो
कंस ने उनके पैरों पर पड़कर सारी घटना सुनाई।
नारद जी ने इसे राधा जी की महिमा बताई।
वे उसे वृषभानु जी के महल में ले गए।
कंस के क्षमा मांगने पर
राधा ने उससे कहा कि
अब तुम यहां
छह महीने गोपियों के घरेलू कामों में मदद करो।
कंस ने ऐसा ही किया।
छह माह बाद उसने जैसे ही वृषभानु कुंड में स्नान किया,
वह अपने पुरुष वेश में आ गया।
फिर कभी उसने बरसाना की ओर मुड़कर नहीं देखा।
रस साम्राज्ञी राधा रानी ने
नंदगांव में नंद बाबा के पुत्र के रूप में रह रहे भगवान श्रीकृष्ण के साथ समूचे ब्रज में आलौकिक लीलाएं कीं,
जिन्हें पुराणों में माया के
आवरण से रहित जीव का
ब्रह्म के साथ विलास बताया गया है।
एक किंवदंती के अनुसार,
एक बार जब
श्रील नारायण भट्ट बरसाना स्थित ब्रह्मेश्वर गिरि पर गोपी भाव से विचरण कर रहे थे,
उन्होंने देखा कि राधा रानी भी
भगवान श्रीकृष्ण के साथ विचरण कर रही हैं।
राधा जी ने उनसे कहा कि
इस पर्वत पर मेरी एक प्रतिमा विराजित है,
उसे तुम अर्द्धरात्रि में निकालकर उसकी सेवा करो।
भट्ट जी इस प्रतिमा का अभिषेकादि कर पूजन करने लगे।
इसके बाद ब्रह्मेश्वर गिरि
पर राधा रानी का भव्य मंदिर बनवाया गया,
जिसे श्रीजी का मंदिर या लाडिली महल भी कहते हैं।
राधा रानी की श्रीकृष्ण में
अनन्य आस्था थी।
वह उनके लिए हर क्षण
अपने प्राण तक
न्योछावर करने के लिए
तैयार रहती थीं।
विभिन्न पुराण, धार्मिक ग्रंथ एवं अनेक विद्वानों की पुस्तकें
उनकी यशोगाथा से भरी पड़ी हैं।
राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र
में कहा गया है
कि अनंत कोटि
बैकुंठों की स्वामिनी
लक्ष्मी, पार्वती, इंद्राणी एवं सरस्वती आदि ने
राधा रानी की पूजा-
आराधना कर उनसे वरदान पाया था।
राधा चालीसा में कहा गया है कि
जब तक राधा का नाम न लिया जाए,
तब तक श्रीकृष्ण का प्रेम नहीं मिलता।
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