क्रोध किन-किन चीज़ों पर निकलता है.....



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😡क्रोध किन-किन चीज़ों पर निकलता है.....

एक फकीर था नान इन . उसके पास एक आदमी मिलने आया . वह बड़े क्रोध में था . घर में कुछ झगड़ा हो गया होगा पत्नी से . क्रोध में चला आया .

आकर जोर से दरवाजा खोला . इतने जोर से कि दरवाजा दीवाल से टकराया . और क्रोध में ही जूते उतारकर रख दिए . भीतर गया . नान इन को झुककर नमस्कार किया .

नान इन ने कहा कि तेरा झुकना , तेरा नमस्कार स्वीकार नहीं है . तू पहले जाकर दरवाजे से क्षमा मांग और जूते पर सिर रख ; अपने जूते पर सिर रख और क्षमा मांग .

उस आदमी ने कहा आप क्या बात कर रहे हैं ! दरवाजे में कोई जान है जो क्षमा मांगूं ! जूते में कोई जान है , जो क्षमा मांगू .

नान इन ने कहा : जब इतना समझदार था , तो जूते पर क्रोध क्यों प्रगट किया ? जूते में कोई जान है , जो क्रोध प्रगट करो ! तो दरवाजे को इतने जोर से धक्का क्यों दिया ? दरवाजा कोई तेरी पत्नी है ? तू जा . जब क्रोध करने के लिए तूने जान मान ली दरवाजे में और जूते में, तो क्षमा मांगने में अब क्यों कंजूसी करता है ?

उस आदमी को बात तो दिखायी पड़ गयी . वह गया , उसने दरवाजे से क्षमा मांगी . उसने जूते पर सिर रखा और क्षमा मांगी .

उस आदमी ने कहा कि इतनी शांति मुझे कभी नहीं मिली थी . जब मैंने अपने जूते पर सिर रखा , मुझे एक बात का दर्शन हुआ कि मामला तो मेरा ही है .

लोग बिलकुल अप्रौढ़ हैं .
बच्चों की भांति हैं .
आप दुख के कारण नहीं देखते .
दुख के कारण , सदा तुम्हारे भीतर हैं .
दुख बाहर से नहीं आता ,
और नर्क पाताल में नहीं है .

नर्क तुम्हारे ही अचेतन मन में है . वही है पाताल .
और स्वर्ग कहीं आकाश में नहीं है .
तुम अपने अचेतन मन को साफ कर लो कूड़े करकट से , वहीं स्वर्ग निर्मित हो जाता है .

स्वर्ग और नर्क तुम्हारी ही भावदशाएं हैं और तुम ही निर्माता हो . तुम ही मालिक हो .

प्रेरणादायी कहानिय Nayisoch2020.blogspot.com

ओम शांति............

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