गूडी पडवा का आधात्मिक रहस्य



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🎋 *गूडी पडवा का आधात्मिक रहस्य* 🎉 

🌸फाल्गुन के जाने के बाद उल्लासित रूप से चैत्र मास का आगमन होता है। चहू ओर प्रेम का रंग बिखरा होता है। प्रकृति अपने पूरे शबाब पर होती है। दिन हल्की तपिश के साथ अपने सुनहरे रूप में आता हैतो रातें छोटी होने के साथ ठंडक का अहसास कराती हैं। मन भी बांवरा होकर दुनिया के सौंदर्य में खो जाने को बेताब हो उठता है।

🎋यह अवसर है नवसृजन के नवउत्साह का, जगत को प्रकृति के प्रेमपाश में बांधने का। पौराणिक मान्यताओं को समझने व धार्मिक उद्देश्यों को जानने का। यही है नवसंवत्सर, भारतीय संस्कृति का देदीप्यमान उत्सव। चैत्र नवरात्रि का आगमन, परम ब्रह्म द्वारा सृजित सृष्टि का जन्मदिवस, गुड़ी पड़वा का विशेष अवसर।

|🇮🇳भारतीय संस्कृति में गुड़ी पड़वा को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को विक्रम संवत के नए साल के रूप में मनाया जाता है। इस तिथि से पौराणिक व ऐतिहासिक दोनों प्रकार की ही मान्यताएं जुड़ी हुई हैं।

📖ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा से ही ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी तरहके उल्लेख अथर्ववेद और शतपथ ब्राह्मण में भी मिलते हैं। इसी दिन चैत्र नवरात्रि भी प्रारंभ होतीहैं।

👲🏻लोक मान्यता के अनुसार इसी दिन भगवान राम का और फिर युधिष्ठिर का राज्यारोहण किया गया था। इतिहास बताता है कि इस दिन मालवा के नरेश विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत का प्रवर्तन किया।

    🎉 *नववर्ष की शुरुआत का महत्व* 🎉

नववर्ष को भारत के प्रांतों में अलग-अलग तिथियों के अनुसार मनाया जाता है। ये सभी महत्वपूर्ण तिथियां मार्च और अप्रैल के महीनों में आती हैं। इस नववर्ष को प्रत्येक प्रांतों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। फिर भी पूरा देश चैत्र माह में ही नववर्ष मनाता है और इसे नवसंवत्सर के रूप में जाना जाता है।

🎉गुड़ी पड़वा, होला मोहल्ला, युगादि, विशु, वैशाखी, कश्मीरी, नवरेह, चेटीचंड, उगाड़ी, चित्रेय तिरुविजा आदि सभी की तिथि इस नवसंवत्सर के आसपास आती हैं। इसी दिन से सतयुग की शुरुआत मानी जाती है।

🐋ऐसा माना जाता है कि इसी दिन श्री विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है।

🌒जब कलियुग के अंत में धर्म ग्लानि का समय आ जाता है, जब हम मनुष्य आत्माएँ, ना ही स्वयं को जानतीहैं न ही परमात्मा को और उन्हें कण-2 में मानकर भ्रमित हो जाती हैं, तब परमात्मा शिव परमधाम सेअवतरित होकर हमें मनुष्य से देवता बनाने, इस सृष्टि को पुनः पावन स्वर्ग बनाने हेतु राजयोग सिखलाने के लिए परकाया ।

👴🏼 *(दादा लेखराज की आत्मा🌟)*
में प्रवेश कर हमें आत्मा, परमात्मा, सृष्टि के आदि-मध्य-अंत का ज्ञान देने, कर्मों की गुह्य गति का ज्ञान के लिए अवतरित होते हैं.
साथ-2 वे हमें सर्व प्रमुख त्योहारों का महत्व भी बताते हैं. वास्तव में उनकी जन्मभूमि भारत में सर्व प्रमुख त्योहार, वर्तमान समय चल रहे पुरुषोत्तम संगम युग से ही संबंधित हैं और सबसे प्रमुख त्योहार महाशिवरात्रि अर्थात शिव जयंती है, जो की परमात्मा शिव के अवतरण का यादगार है.

📍गूडी पडवा पर्व जो की मूल रूप से महाराष्ट्र में मनाया जाता है, हमें इस सृष्टि परिवर्तन की कल्याणकारी वेला में परमात्मा सिखाए जा रहे परमसुखकारी ज्ञान को जीवन में धारण कर स्वयं के जीवनमें दिव्य परिवर्तन लाने अर्थात उसे विकारी से निर्विकारी बनाने की प्रेरणा देता है, जिससे श्रीलक्ष्मी-श्री नारायण की नयी दुनिया अर्थात सच्चा-2 नव वर्ष फिर से स्थापन हो सके.तो आइए, आप भी परमात्मा शिव द्वारा पिछले 82 वर्षों से सिखलाए जा रहे परंकल्याणकारी राजयोग कोसीखें, उनसे मिलन मनाएँ और अपना जीवन धन्य-2 बनाए.

🙏आप सभी को गुडी पाडवा पर्व की बहुत बहुत शुभ कामनाएँ.

💓 *से ओम शान्ति* 🌹
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