सच्ची_भक्ति

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#सच्ची_भक्ति

एक पंडित थे, वे हमेशा घर-घर जाकर भागवत गीता का पाठ करते थे |एक बार हुआ यू कि एक दिन उन्हें किसी चोर ने पकड़ लिया और कहने लगा तुम्हारे पास जो कुछ भी है वह सब मुझे दे दो , पंडित जी उनकी बात सुन कहने लगे बेटा मेरे पास तो कुछ भी नहीं है, पर तुम एक काम कर सकते हो | मैं यहीं पास के घर मैं भगवत गीता का पाठ करता हूँ |

वहाँ जो यजमान है वे बहुत दानी हैं, जब मैं वहा उनको कथा सुना रहा होऊंगा तब तुम उनके घर जाना और तुम्हें जो भी चाहिये वो ले जाना | चोर को यह सुझाव ठीक लगा और उस चोर मे पंडित की बात मान ली.
जब अगले दिन पंडित जी उस यजमान के यहा कथा सुना रहे थे, तब वह चोर भी वहां आ पहुंचा | उस वक्त पंडित जी कथा मे कह रहे थे कि यहाँ से मीलों दूर एक गाँव है जिसका नाम वृन्दावन है, वहां एक बालक रहता है, जिसका नाम कन्हैया है, वह हमेशा आभूषणो रत्न से लदा रहता है, यदि कोई उसे लूटना चाहे तो आसानी से उसे लूट सकता है, क्योंकि वह रोज रात गांव के एक पीपल पेड़ के नीचे आता है।

वहा एक घनी झाडियाे का झुंड है | यह बात वह चोर ने सुना और उसके मन मे एक लालच हुई कि क्यों न उस बालक को लूट लू जिसके पास इतने आभूषण है और खुशी खुशी वह वहा से वृन्दावन के लिये वहां से चला गया! चोर पहले अपने घर गया और अपनी धर्मपत्नी से कहने लगा कि आज मैं एक कन्हैयानाम के बच्चे को लूटने जा रहा हूँ , मुझे रास्ते मे कुछ खाने के लिए बांध कर दे दो, उसकी पत्नी ने उसे सत्तू को बांधकर दे दिया और कहने लगी बस यही है जो कुछ भी है|

अपनी पत्नी की बात सुन चोर ने घर से संकल्प लेकर चला कि जब तक तो में उस कन्हैया को लूट नही लुंगा तब तक नही आऊंगा, यह संकल्प ले वह चोर पैदल-पैदल वृंदावन के लिए चल पड़ा, वह चोर पूरे रास्ते बस कान्हा का नाम लेते और कान्हा के बारे मे सोचते हुए चलते गया, जब वह अगले दिन शाम को वृन्दावन पहुंचा तो वह उस स्थान को ढुंढने लगा जो उस पंडित जी ने बताई थी!

वह चोर ढंढते हुए उस जगह पर पहुँच गया औ सोचने लगा कि यदि मैं ऐसे ही खड़े होकर उस कन्हैया का इंतजार करूंगा तो वह मुझे देखकर भाग जायेगा | और मेरा यहाँ आना व्यर्थ हो जायेगा, यह सोच वह झाड़ियों में जाकर झुप गया, जैसे ही  वह झाड़ियों में गया झाड़ियों के कांटे उसे चुभने लगे! और उसके मुह से दर्द के कारण कन्हैया का ही नाम निकला  उस चोर के शरीर रक्त निकलने लगा और जबान पर सिर्फ कन्हैया का ही नाम आने लगा, वह चोर लगी बैठ कहने लगा आ जाओ कन्हैया आ जाओ कन्हैया |

भगवान से रहा नही गया और अपने भक्त की ऐसी दशा देख कान्हा जी चल पड़े अपने भक्त के दुख नही देख सके और सब कुछ लूटने भगवान उस चोर के पास चल पड़े !

जैसे ही भगवान कान्हा जी वहा आये उन्हें देख वह चोर एक दम से उस झाड़ियों से बहार आ गया और उसने कान्हा को पकड़ लिया और कहने लगा कन्हैया तुम्हारे कारण मुझे इतना दर्द सहन करना पड़ा !  तेरे इंतज़ार मे मेरे रक्त निकल आये अब मै तुम्हें नही छोडूंगा ये देख मेरे हाथ मे हथियार है,  ला मुझे अपने सारे आभूषण दे दे | भगवान चोर की बात सुन जोर जोर से हंसने लगे और अपने सारे आभूषण उस चोर को दे दिये|

जब वह चोर वृंदावन से वापस अगले दिन अपने गाँव पहुंचा, तो सबसे पहले वह चोर उस पंडित जी के पास गया जो उस यजमान के यहा कथा सुना रहे थे, और अपने साथ जितने भी गहने वह चोरी करके लाया था उसका आधा उस पंडित जी को देकर पंडित के चरणों मे गिर गया | यह देख पंडित भी अचम्भित रह गये और पूछने लगे यह सब क्या है, तब वह चोर कहने लगा |  पंडित जी आपने जिस कन्हैया का पता बताया था ना मै वही गया था और उस कान्हा को ही लूटकर आया हूँ, आपने बताया था इस हेतु आपको हिस्सा दे रहा हूँ |

पंडित को यह सुन यकीन नहीं हुआ! और पंडित कहने लगे मै यहा लालो से पंडिताई कर रहा हूँ और मुझे आज तक कान्हा जी नही मिले और तुझ जैसे पापी को कान्हा कहाँ से मिल सकता है | चोर कहने लगा पंडित जी यह सत्य है यह सारे आभूषण सही कन्हैया के है इतना कहने पर पंडित बोलने लगे कि यदि ऐसा है तो चल में भी तेरे साथ चलता हूँ और देखता हूँ कि कान्हा कैसा दिखता है, और वो दोनों वृंदावन के लिये चल दिए!

 जैसे ही वह वृन्दावन पहुँचें तो चोर ने पंडित जी आओ मेरे साथ यहाँ छुप जाओ, पंडित जी उस चोर के साथ उसी झाड़ियों पर छुप गये और दोनों का शरीर रक्त निकलने लगे. और मुंह से बस कान्हा आ जाओ कान्हा आ जाओ निकलने लगे ! पुन भगवान पुन पँहुचे और चोर और पंडित दोनों झाड़ियों से बहार निकल आये! यह देख पंडित जी कि आँखों में आंसू थे और वह फूट फूट के रोने लगे | और चोर के चरणों में गिर के बोलने लगे जिसे देखने यह आँखें आज तक तरसते रहे थे, जो आज तक लोगो को लुटता आया हो, उसे आज तुमने लूट लिया तुम धन्य हो, आज तुम्हारी वजह से मुझे कान्हा के दर्शन हुए हैं | भक्ति की प्यास होनी चाहिये भगवान खुद ही किसी ना किसी स्वरूप मे अवश्य आते है |
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 !!जय जय श्री राधे!!ब
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