प्रभु की प्राप्ति किसे होती है..? एक सुन्दर कहानी है :--


WhatsApp 📞 👇 *+919893236423*
🇲🇰 प्रेरणादायी कहानियाँ 🇲🇰

प्रभु की प्राप्ति किसे होती है..?
एक सुन्दर कहानी है :--

एक राजा था। वह बहुत न्याय प्रिय तथा प्रजा वत्सल एवं धार्मिक स्वभाव का था। वह नित्य अपने इष्ट देव की बडी श्रद्धा से पूजा-पाठ और याद करता था।

एक दिन इष्ट देव ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिये तथा कहा -- "राजन् मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। बोलो तुम्हारी कोई इछा हॆ ?"

प्रजा को चाहने वाला राजा बोला -- "भगवन् मेरे पास आपका दिया सब कुछ हैं आपकी कृपा से राज्य मे सब प्रकार सुख-शान्ति है।

फिर भी मेरी एक ही ईच्छा हैं कि जैसे आपने मुझे दर्शन देकर धन्य किया, वैसे ही मेरी सारी प्रजा को भी कृपा कर दर्शन दीजिये।"

"यह तो सम्भव नहीं है" -- ऐसा कहते हुए भगवान ने राजा को समझाया। परन्तु प्रजा को चाहने वाला राजा भगवान् से जिद्द् करने लगा।

आखिर भगवान को अपने साधक के सामने झुकना पडा ओर वे बोले -- "ठीक है,

कल अपनी सारी प्रजा को उस पहाड़ी के पास ले आना और मैं पहाडी के ऊपर से सभी को दर्शन दूँगा ।"

ये सुन कर राजा अत्यन्त प्रसन्न हुअा और भगवान को धन्यवाद दिया।

अगले दिन सारे नगर मे ढिंढोरा पिटवा दिया कि कल सभी पहाड़ के नीचे मेरे साथ पहुँचे, वहाँ भगवान् आप सबको दर्शन देगें।

दूसरे दिन राजा अपने समस्त प्रजा और स्वजनों को साथ लेकर पहाडी की ओर चलने लगा।

चलते-चलते रास्ते मे एक स्थान पर तांबे कि सिक्कों का पहाड देखा।

प्रजा में से कुछ एक लोग उस ओर भागने लगे। तभी ज्ञानी राजा ने सबको सर्तक किया कि कोई उस ओर ध्यान न दे,

क्योकि तुम सब भगवान से मिलने जा रहे हो, इन तांबे के सिक्कों के पीछे अपने भाग्य को लात मत मारो ।

परन्तु लोभ-लालच मे वशीभूत प्रजा के कुछ एक लोग तो तांबे की सिक्कों वाली पहाड़ी की ओर भाग ही गयी और सिक्कों कि गठरी बनाकर अपने घर कि ओर चलने लगे।

वे मन ही मन सोच रहे थे, पहले ये सिक्कों को समेट ले, भगवान से तो फिर कभी मिल ही लेगे ।

राजा खिन्न मन से आगे बढे। कुछ दूर चलने पर चांदी कि सिक्कों का चमचमाता पहाड़ दिखाई दिया ।

इस वार भी बचे हुये प्रजा में से कुछ लोग, उस ओर भागने लगे ओर चांदी के सिक्कों को गठरी बनाकर अपनी घर की ओर चलने लगे। उनके मन मे विचार चल रहा था कि ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है।

चांदी के इतने सारे सिक्के फिर मिले न मिले, भगवान तो फिर कभी मिल ही जायेगें.

इसी प्रकार कुछ दूर और चलने पर सोने के सिक्कों का पहाड़ नजर आया। अब तो प्रजा जनो में बचे हुये सारे लोग तथा राजा के स्वजन भी उस ओर भागने लगे।

वे भी दूसरों की तरह सिक्कों कि गठरीयां लाद-लाद कर अपने-अपने घरों की
ओर चल दिये।

अब केवल राजा ओर रानी ही शेष रह गये थे। राजा रानी से कहने लगे --
"देखो कितने लोभी ये लोग। भगवान से मिलने का महत्व ही नहीं जानते हैं।

भगवान के सामने सारी दुनियां की दौलत क्या चीज हैं..?" सही बात है --

रानी ने राजा कि बात का समर्थन किया और वह आगे बढने लगे कुछ दुर चलने पर राजा ओर रानी ने देखा कि सप्तरंगि आभा बिखरता हीरों का पहाड़ हैं ।

अब तो रानी से भी रहा नहीं गया, हीरों के आर्कषण से वह भी दौड पड़ी और हीरों कि गठरी बनाने लगी । फिर भी उसका मन नहीं भरा तो साड़ी के पल्लू मेँ भी बांधने लगी ।

वजन के कारण रानी के वस्त्र देह से अलग हो गये, परंतु हीरों का तृष्णा अभी भी नहीं मिटी। यह देख राजा को अत्यन्त ही ग्लानि ओर विरक्ति हुई । बड़े दुःखद मन से राजा अकेले ही आगे बढते गये ।

वहाँ सचमुच भगवान खड़े उसका इन्तजार कर रहे थे । राजा को देखते ही भगवान मुसकुराये ओर पुछा -- "

कहाँ है तुम्हारी प्रजा और तुम्हारे प्रियजन । मैं तो कब से उनसे मिलने के लिये बेकरारी से उनका इन्तजार कर रहा हूॅ ।

" राजा ने शर्म और आत्म-ग्लानि से अपना सर झुका दिया ।
तब भगवान ने राजा को समझाया --
"राजन, जो लोग अपने जीवन में भौतिक सांसारिक प्राप्ति को मुझसे अधिक मानते हैं, उन्हें कदाचित मेरी प्राप्ति नहीं होती और वह मेरे स्नेह तथा कृपा से भी वंचित रह जाते हैं..!!"
:
सार..
जो जीव अपनी मन, बुद्धि और आत्मा से भगवान की शरण में जाते हैं, और जो
सर्व लौकिक मोह को छोडके प्रभु को ही अपना मानते हैं वो ही सब कर्मो से मुक्त हो कर मोक्ष् प्राप्त करते है।

धर्म ज्ञान सम्बंधित किसी भी समस्या के समाधान के लिए मुझे सम्पर्क कर सकते हैं

🇲🇰 प्रेरणादायी कहानियाँ 🇲🇰👇
Nayisoch2020.blogspot.com

Comments

  1. Jin dhoonda tinpayia
    Gahry pani paith
    Main bapura boodan jara
    Raha kinary baith
    He who wish to search
    God mighty is waiting tlsee them

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts