बाहर या भीतर

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*🍃🍁बाहर या भीतर🍁🍃*

माँ रबिया सभी से बहुत ही दिव्य ज्ञान की चर्चा किया करती थी पर कुछ युवक उनकी बात को समझने का प्रयास नही करते ओर यही कहते हम ईशवर को बहुत मानते है मंदिर जाते है एक दिन ईशवर भी मिल जाएंगे !  तो एक दिन माँ अपनी कुटिया के बाहर कुछ खोज रही थी तभी वो युवक वहा से निकले ओर हँसते हुए आगे बड गए । परन्तु जब संध्या होने को थी वो युवक लोटे तो क्या देखते है कि माँ रबिया अब भी बेचैनी से मिट्टी मे कुछ खोज रही है तो उन्होने पुछा --
*माँ सुबह से क्या खोज रही हो??*
*रबिया--* बेटा मेरी सुई खो गई है जो सुबह से मिल नही रही ओर अब अंधेरा होने वाला है।
*युवक--*   वो भी ढूंढने लगे ।
तभी एक युवक ने कहा -- माँ आपकी सुई गिरी कहा थी अच्छे से याद करके बताओ ??
*रबिया--* बेटा वो तो कुटिया मे गिरी थी ।
*युवक--* हैरान ! माँ यदि आपकी सूई भीतर गिरी है तो भीतर ही खोजो ना बाहर क्यो खोज रही हो सुबह से समय खराब कर रही हो ।
*रबिया--* वो अंदर अंधेरा है ना तो ,,,,,,
*युवक--* अरे तो दिया जला लो ना ! जो वस्तु जहा है वही तो मिलेगी ना।
*रबिया वही बैठ गई-* ओर कहने लगी यही बात तो मै समझाती हूँ
*युवक--* क्या ?
*रबिया--* कि जो ईशवर आपके भीतर है तो उसे भीतर से ही प्राप्त करो बाहर नही मिलेगा चाहे सारा जीवन खोज लो सारा जहाँ मे ढूंढ लो भीतर रोशन कर लो सारा जहा रोशन हो जाएंगा ।नही तो मानव जीवन व्यर्थ चला जाएगा। अंधकार अंदर है तो अंदर प्रकाश करना है  नही तो व्यर्थ है --
जैसे सुबह से शाम तुम कह रहे हो समय खराब किया मैने वैसे ही ,,,,,,
*युवक--* ओह ! सही कहा ! माँ आपने
*वस्तु कही ढूढे कही ,केहि विधि आवे हाथ*
*कहे कबीर तब ही पाए जब भेदी लीना साथ*

*विचार--------*
अब आप स्वयं करे
समझदार को इशारा काफी होता है ओर वह राह पर चल पडता मंजिल को पा जाता है
नही तो महापुरूष तो क्या भगवान भी नही समझा सकते।
*विचार महापुरूषो के मनन आपका*
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*🙏🚩जय श्रीराम 🚩🙏*

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