सच्चा सेवक



सच्चा सेवक
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एक राजा ने एक सेवक गुलाम के रूप में ख़रीदा । राजा ने उस गुलाम सेवक से पूछा कि तेरा नाम क्या हैँ ? सेवक ने कहाँ-जिस नाम से आप पुकारे, वही मेरा नाम होगा, फिर राजा ने पूछा कि-तू क्या खायेगा, क्या पहनेगा ? सेवक ने कहाँ-राजन आप जो खिला दे और पहनने को दे, फिर राजा ने पूछा-तू काम क्या करेगा ? सेवक बोला जो आप कराये । तब राजा बोला-आखिर तू चाहता क्या हैँ ?सेवक ने कहाँ-राजन गुलाम सेवक की अपनी कोई मर्जी नहीं होती ।
सेवक के उत्तरो को सुनकर राजा ने सेवक को गले से लगा लिया और कहाँ कि भगवान के प्रति भक्त की भक्ति कैसे होती हैँ, यह तूने मुझे बता दिया । आज से तू मुक्त हैँ, तूने मुझे समझा दिया की भगवान का सच्चा सेवक और सखा कैसा होना चाहिये । भक्त की अपनी कोई निजी इच्छा नहीं होती ।
ये जानते ही आत्मा सारे बंधनो से मुक्त हो जाती हैँ।

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Om Shanti

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