माँ तुझे सलाम



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🇲🇰 प्रेरणादायी कहानियाँ 🇲🇰

         👸🏻 माँ तुझे सलाम 👩‍👧

सर्वविदित है कि ईश्वर सर्वव्यापी नहीं हो सकता इसलिए उसने माँ को बनाया। माँ के प्यार की कोई सीमा नहीं होती, जिसमें धरती सी सहनशीलता है और आकाश-सा गाम्भीर्य। सारा संसार उस एक में और सारे संसार में वह एक। कितना अद्भुत आयाम है माँ का। यादों की गलियों का पहला मक़ाम है माँ। पूराआंगन, सारी खुशबूएं, सारे स्वाद, सारे मौसम.... हर याद के पहले पायदान पर वही तो है।माँ ईश्वर की वह श्रेष्ठतम और अनुपम कृति है जिसके स्नेहिल स्मरण से बच्चों के मन व प्राण अनोखीपुलक से भर जाते हैं। बच्चा जब जन्म लेता है तो वह मासूम ओठों से पहला शब्द माँ ही निकालता है। मीठी माँ को सम्मुख देखते ही बच्चों के दिल के तार झंकृत हो जाते हैं।ईश्वर का भेजा हुआ फरिश्ता कहा जाता है परमपिता परमात्मा शिव कुछ गढ़ रहे थे। वहाँ से गुजरता हुआएक फरिश्ता पूछ बैठा निरंतर कई दिनों से आप क्या बना रहे हैं?

🏮भगवान ने कहा –☝🏼
 नयी सृष्टि के निर्माण के लिए माँ को गढ़ रहा हूँ। जिज्ञासु फरिश्ते ने पूछा- माँ को आप कैसे बनाएँगे भगवान ने कहा- जिसकी अलौकिक कोख से देवत्व का जन्म हो जिसकी दिव्य गोद में सारी सृष्टि समा जाये। जिसके स्नेहिल स्पर्श से बड़ी से बड़ी चोट पर मरहम लग जाये और पहले से भी ज़्यादा उमंग उत्साह छा जाये जिसके दिमाग के साथ दिल में भी आँखें हो जिससे वह सारे संसार में फैली हुई दिव्य आत्माओं पर नज़ररख सके। जो अस्वस्थ होने पर भी हर मुश्किल को आसान करने का दम रखे।जिसके आँचल तले सारी सृष्टि सुरक्षित रहे। जिसकी एक आँख में भावनाओं का शुभ जल भरा हो पर दूसरी से ज्वाला रूप शक्ति का भी संचार होता रहे। जिसके दर्शन से ही मानवता धन्य-धन्य हो जाए मैं उसे गढ़ रहा हूँ। जो ठेस पहुँचने पर भी दुआएँ देती रहे और आशीर्वाद लुटाते रहें। वेद कहता है माँ निर्माता है, कुरान कहता है माँ के कदमों के तले जन्नत है, ग्रंथ साहब माँ को इमान मानता है। वेदव्यास ने तो माँ को भूमि से भी गुरुतर बताया है। कहा जाता है पूत कपूत हो सकता है पर माता कुमाता नहीं हो सकती।

💓दिल गाता है-

माँ है मेरी इतनी प्यारी, लगती है वो जग से न्यारी
स्नेह लुटाये हम पे इतना, वार दूँ मैं दुनिया सारी

👸🏻जगत का उद्धार किया जगदंबा ने:।
|🇮🇳भारतीय संस्कृति वंदे मातरम की संस्कृति रही है। भारत की माताओं-बहनों ने भारत के उद्धार के लिएशाश्वत सेवा की। धन्य है भारत जननी, धन्य है भारत भूमि। यूं तो अनेक महापुरुष और महारानियाँ इस भारत भूलोक में अवतरित हुए और अपना दिव्य कर्तव्य करके गए। इतिहास उनके कर्तव्य की गाथा सुना रहा है। परंतु माँ जगदम्बा सरस्वती तो हर कसौटी पर खरी उतरी है। उनके हौसले के आगे इंसान ही नहीं भगवान भी सिर झुकाता है ऐसी थी यूं तो अनेक महापुरुष और महारानियाँ इस भारत भूलोक में अवतरित हुए और अपना दिव्य कर्तव्य करके गए। इतिहास उनके कर्तव्य की गाथा सुना रहा है। माँ के सारे दिव्य अलौकिक अनुपम, रूहानी गुण और कर्तव्य हम बच्चों ने अपनी मीठी माँ के अलौकिक जीवन में अव्यक्त दृष्टि से देखे हैं।
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👸🏻मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती ने अपनी छोटी सी बाल्यावस्था में जगत के उद्धार और मानव कल्याण का जो अभूतपूर्व कार्य किया था वह चिरस्मरणीय और अनुकरणीय है। वे ममता स्नेह और करुणा की प्रतिमूर्ति बनकर बाल अवस्था में ही छोटे- बड़े सभी का दुख दूर करने लगी थी। और सभी को अलौकिक वात्सल्य द्वारा मातृ पालना का अनुभव कराने लगी थी। इसी कारण बड़े बुजुर्ग भी उन्हें मम्मा अथवा मातेश्वरी जगदंबा कहकर पुकारते थे। ईश्वर में अटल निश्चय और विश्वास तथा ईश्वर के प्रति सम्पूर्ण समर्पण उनके रोम-रोम में झलकता था। अपने दिव्य गुणों और शक्तियों का साक्षात दर्शन मातेश्वरी जी ने अपने चित्र और चरित्र द्वारा जनमानस को कराया। उनकी ज्ञान वीणा के स्वर हमारे कानों में सदा गूँजते रहेंगे।

👸🏻मातेश्वरी जी की दिव्य शिक्षाओं से भारत माताओं के एक विशाल संगठन की रचना हुई जो प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के नाम से सारे विश्व में मानवता के नैतिक उत्थान और आध्यात्मिक जागृति हेतु पिछले 82 वर्षों से से सेवारत है। जिसमें सिर्फ नारी ही नहीं अपितु हर वर्ग के समग्र कल्याण की सेवा चल रही है।

💓 से ओम शान्ति 🌹

प्रेरणादायी कहानिय👇🏻 Nayisoch2020.blogspot.com


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