मोह की गांठ




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*मोह की गांठ* 🔰

शरीर में आत्मा का जितने दिन का पार्ट है वह बजा लेने के बाद आत्मा को वह शरीर छोड़ना ही पड़ेगा और जब शरीर छूटेगा तो सम्बन्ध और पदार्थ भी छूटेंगे
इसलिये सम्बन्धो की गाँठ जितनी ढीली होगी , अंत समय उसे खोलना उतना ही आसान होगा।
यदि हमे कहीं कोई ऐसी गाँठ बांधनी हो जिसे थोड़े समय के बाद खोलना हो तो हम उसे ढीला बांधते हैं , यदि कस कर बाँध दी तो सहजता से नही खुलेगी , बहुत मेहनत लगानी पड़ेगी और हो सकता है कि गाँठ खुले ही नही , और जब गाँठ खुलेगी नही तो उसे काट कर ही अलग करना पड़ेगा।👼

इसी प्रकार परिवारजनो के साथ , पदार्थों के साथ और सम्बंधियों के साथ मोह ममता की गाँठ ढीली ढीली बंधिये क्योकि उसे आज नही तो कल खोलना ही पड़ेगा ।

शरीर में आत्मा का जितने दिन का पार्ट है वह बजा लेने के बाद आत्मा को वह शरीर छोड़ना ही पड़ेगा और यह नियम है , मृत्यु से डरने की जरूरत नही है और जब शरीर छूटेगा तो सम्बन्ध और पदार्थ भी छूटेंगे और आत्मा अपने संस्कारो के साथ आगे का सफर शुरू कर लेगी।

यदि सबके साथ मोह और आसक्ति की गाँठ कस कर बाँधी होगी तो जीते जी मर्ज़ झेलना पड़ेगा और अंत समय आत्मा अलग होने में कष्ट अनुभव करेगी!!
प्रेम निस्वार्थ और सदा सुखद होता है और मोह दर्द दुख का कारण बनता है।
प्रेम और मोह अलग अलग है इसकी जागरूकता आनी जरूरी है।
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सदैव स्मृति में रहे कि ,

संसार रूपी नाटक शाळा में हमारा फ़र्ज़ है कि हम अपना अभिनय अनासक्ति के साथ करें , दूसरे के अभिनय की तरफ ध्यान ना दे कर अपने पार्ट को अच्छी तरह निभाएं!!

यदि हम आपसी सम्बन्धो में न्यारे , हर्षित , शांत व सच्चे हो कर रहते हैं तो फ़र्ज़ है पर यदि अज्ञानतावश क्रोध , मोह , अहंकार और दुःख का लेन देन करते हैं तो यही सम्बन्ध मर्ज़ बन जाते हैं ।

याद रहे - परमात्मा हमारा भाग्य नहीं लिखता!!...

*जीवन के आज के हर कदम पर हमारी सोच , हमारे बोल व हमारे कर्म ही हमारा आगे का भाग्य लिखते हैं .*

अतः सदा स्मरण रहे!!... कि हर पल , कलम भी हमारी है!!... लिखावट भी हमारी है!!... और फिर तो भाग्य भी हमारा ही है...!!

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