जो मिला, वह बांट दिया

*जो मिला, वह बांट दिया '*
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🇲🇰 प्रेरणादायी कहानियाँ 🇲🇰


👉माघ विद्धान तो थे, कवि भी थे l पर वह कभी संपन्न नहीं बनन सके l जो हाथ आया, दुखी- दरिद्र की सहायता के लिए बिखर दिया l
एक बार उस क्षेत्र में दुर्भिक्ष पड़ा l  अपनी संपदा बेचकर उन्होंने दीन- दरिद्र की अन्न पूर्ति के लिए लगा दिया l अब मात्र उनका नवचरित काव्य घर में शेष रह गया l  वह सोचने लगे, इसके बदले कुछ पैसा मिल जाये , उसे भी लगा दिया जाएँ l

    पर गुणपारखी कहाँ से मिलें ...?? उन्हे याद आया कि राजा भोज के पास ही जाया जा सकता हैं l पर इतनी दूर जाने के लिए खर्च कहाँ से आए ..??
दूसरा प्रश्न यह था कि भोज उन्हे पहचान लेंगे , तो  उचित से अधिक  मूल्य देंगे , जो उन्हे स्वीकार न था l उन्होने सोचा कि पत्नी के साथ चलें l माघ और पत्नी पैदल चल पड़े l
    लम्बी यात्रा तय कर वे भोज की राजसभा में पहुचे l भोज की पत्नी यानी एक अपरिचित महिला द्वार वह नवरचित काव्य राजा भोज के सामने पेश किया गया l 9893236423✍🏻
   काव्य के कुछ पृष्ठ उलटने ही भोज दंग रह गये l उन्होने उसका उचित पुरस्कार दिया l

   *जो मिला ** !! उसे लेकर माघ सपत्नीक  वापस लौटे l मार्ग में फिर वहीं दुर्भिक्षग्रस्त क्षेत्र मिला l
उन्होंने वहीं से धन बांटना आरंभ किया , तो घर पहुंचते- पहुंचते सारी राशि समाप्त हो गई  और ठीक वैसे ही अभावग्रस्त स्थिति में वापस लौटें , जैसें  कि चलते समय थी l

*कहते हैं, अन्य भूखों की तरह इस दंपति का भी उसी दुर्भिक्ष में देहावसान  हो गया ** l


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