मोहजीत राजा की कथा: आज की मुरली मे जो सूचित है |
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🌝🌝मोहजीत राजा की कथा: आज की मुरली मे जो सूचित है |
एक बार एक राजकुमार अपने कई सैनिकों के साथ शिकार पर गया।वह बहुत अच्छा शिकारी था।शिकार के पीछे वह दूर निकाल गया कि सारे सिपाही पीछे छूट गये।अकेले पड़ने का एहसास होते वह रूक गया ।उसे प्यास भी लग रही थी।उसे पास में ही एक कुटिया दिखाई दी।वहाँ एक सन्त ध्यान - मग्न होकर बैठे थे।राजकुमार ने संत से कहा कि वह एक राजा का लड़का है जिसने मोह जीत लिया है।सन्त बोला - असंभव ।एक राजा और मोह पर विजयी ? यहाँ मैं एक संन्यासी हूँ तब भी मोह को जीत नहीं पा रहा हूँ और तुम कहते हो कि तुम्हारे पिता जी एक राजा हैं और मोह को जीत चुके है।राजकुमार ने कहा , न केवल मेरे पिता जी बल्कि सारी प्रजा ने भी मोह को जित रखा है।सन्त को इसका विश्वास नहीं हुआ तो राजकुमार ने कहा कि चाहें तो इस बात की परीक्षा ले लें।सन्त ने राजकुमार की कमीज़ माँगी और उसे कुछ और पहनने को दिया।सन्त ने तब एक जानवर को मार कर उसके खून में राजकुमार की कमीज को डुबाया और वह शहर में चिल्लाता हुआ गया कि राजकुमार को एक शेर ने मार दिया।
शहर के लोग कहने लगे - अगर वह चला गया तो क्या हुआ।आप क्यों चिल्ला रहे हो ? वह उसका भाग्य था ।सन्त ने सोचा कि प्रजा नहीं चाहती होगी कि राजकुमार भविष्य में राजा बनें इसलिए इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है।
सन्त महल में गया और राजकुमार की मौत की बात उसके भाई और बहन को सुनाई।उन्होंने कहा कि अब तक वह हमारा भाई था , अब किसी और का भाई बन जायेगा ।कोई हमेशा के लिए साथ तो नहीं रह सकता इसलिए रोने और चिल्लाने की आवश्यकता नहीं है।सन्त को लगा कि बहन को दूसरा भाई अधिक पसंद है और भाई खुश है कि उसे अब राज्य मिलेगा इसलिए दोनों ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
फिर वह पिता के पास गया और खबर सुनाई।पिता बोले, आत्मा तो अमर है और अविनाशी है इसलिए चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है।वह मेरा पुत्र था इसलिए मैने सोचा कि वह राजा बनने वाला है लेकिन अब दूसरे पुत्र को राज्य मिलेगा ।मैं उसे वापस नहीं ला सकता हूँ इसलिए दुःख क्यों करूँ।सन्त सोच में पड़ गया।
लेकिन अभी और भी लोग बाकी थे।राजकुमार की माता और पत्नी ।सन्त ने सोचा कि ये दो व्यक्ति तो जरूर व्याकुल होंगे।लेकिन वहाँ से भी वैसा ही उत्तर पाकर सन्त आश्चर्य में पड़ गया।उसे अपने आप पर ही विश्वास नहीं हो रहा था कि वह सच देख रहा है।आखिर हारकर उसने अपने आने का उद्देश्य और राजकुमार के जिन्दा होने की बात सबको सुना दी।राजकुमार ने वापस आकर अपना राज्यभाग्य सँभाला और हर चीज पहले की तरह चलती रही।
आध्यात्मिक भाव:
मोह पाँच विकारों में से एक है।वह हमारी शान्ति को छीन लेता है।परखने की शक्ति को खत्म कर देता है।मोह सच्चाई को खतम करता है।जिसमें मोह है उसमें बुद्धिमानी नहीं हो सकती।बाबा इस कथा से शिक्षा देना चाहते हैं कि ना हमें दूसरों में मोह हो और ना ही दूसरों का हममें मोह हो।तब ही हम विश्व के मालिक बन सकते हैं।
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ॐ शांति 💥🇲🇰🙏🙏
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🌝🌝मोहजीत राजा की कथा: आज की मुरली मे जो सूचित है |
एक बार एक राजकुमार अपने कई सैनिकों के साथ शिकार पर गया।वह बहुत अच्छा शिकारी था।शिकार के पीछे वह दूर निकाल गया कि सारे सिपाही पीछे छूट गये।अकेले पड़ने का एहसास होते वह रूक गया ।उसे प्यास भी लग रही थी।उसे पास में ही एक कुटिया दिखाई दी।वहाँ एक सन्त ध्यान - मग्न होकर बैठे थे।राजकुमार ने संत से कहा कि वह एक राजा का लड़का है जिसने मोह जीत लिया है।सन्त बोला - असंभव ।एक राजा और मोह पर विजयी ? यहाँ मैं एक संन्यासी हूँ तब भी मोह को जीत नहीं पा रहा हूँ और तुम कहते हो कि तुम्हारे पिता जी एक राजा हैं और मोह को जीत चुके है।राजकुमार ने कहा , न केवल मेरे पिता जी बल्कि सारी प्रजा ने भी मोह को जित रखा है।सन्त को इसका विश्वास नहीं हुआ तो राजकुमार ने कहा कि चाहें तो इस बात की परीक्षा ले लें।सन्त ने राजकुमार की कमीज़ माँगी और उसे कुछ और पहनने को दिया।सन्त ने तब एक जानवर को मार कर उसके खून में राजकुमार की कमीज को डुबाया और वह शहर में चिल्लाता हुआ गया कि राजकुमार को एक शेर ने मार दिया।
शहर के लोग कहने लगे - अगर वह चला गया तो क्या हुआ।आप क्यों चिल्ला रहे हो ? वह उसका भाग्य था ।सन्त ने सोचा कि प्रजा नहीं चाहती होगी कि राजकुमार भविष्य में राजा बनें इसलिए इस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त कर रही है।
सन्त महल में गया और राजकुमार की मौत की बात उसके भाई और बहन को सुनाई।उन्होंने कहा कि अब तक वह हमारा भाई था , अब किसी और का भाई बन जायेगा ।कोई हमेशा के लिए साथ तो नहीं रह सकता इसलिए रोने और चिल्लाने की आवश्यकता नहीं है।सन्त को लगा कि बहन को दूसरा भाई अधिक पसंद है और भाई खुश है कि उसे अब राज्य मिलेगा इसलिए दोनों ने ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
फिर वह पिता के पास गया और खबर सुनाई।पिता बोले, आत्मा तो अमर है और अविनाशी है इसलिए चिल्लाने की कोई जरूरत नहीं है।वह मेरा पुत्र था इसलिए मैने सोचा कि वह राजा बनने वाला है लेकिन अब दूसरे पुत्र को राज्य मिलेगा ।मैं उसे वापस नहीं ला सकता हूँ इसलिए दुःख क्यों करूँ।सन्त सोच में पड़ गया।
लेकिन अभी और भी लोग बाकी थे।राजकुमार की माता और पत्नी ।सन्त ने सोचा कि ये दो व्यक्ति तो जरूर व्याकुल होंगे।लेकिन वहाँ से भी वैसा ही उत्तर पाकर सन्त आश्चर्य में पड़ गया।उसे अपने आप पर ही विश्वास नहीं हो रहा था कि वह सच देख रहा है।आखिर हारकर उसने अपने आने का उद्देश्य और राजकुमार के जिन्दा होने की बात सबको सुना दी।राजकुमार ने वापस आकर अपना राज्यभाग्य सँभाला और हर चीज पहले की तरह चलती रही।
आध्यात्मिक भाव:
मोह पाँच विकारों में से एक है।वह हमारी शान्ति को छीन लेता है।परखने की शक्ति को खत्म कर देता है।मोह सच्चाई को खतम करता है।जिसमें मोह है उसमें बुद्धिमानी नहीं हो सकती।बाबा इस कथा से शिक्षा देना चाहते हैं कि ना हमें दूसरों में मोह हो और ना ही दूसरों का हममें मोह हो।तब ही हम विश्व के मालिक बन सकते हैं।
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