स्वर्णिम संदेश
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🇲🇰प्रेरणादायी कहानियाँ🇲🇰
🎧 स्वर्णिम संदेश 🎧
✍ एक जंगल में वटवृक्ष था । जिस पर एक बंदर और उसकी बंदरिया रहती थी । एक दिन अचानक वहां तोता मैना उसी वृक्ष की डाली पर आकर बैठे ।
बंदर और बंदरिया की जोड़ी को देखते हुए, मैना ने तोते से कहा, यह समय इतना श्रेष्ठ और बलवान है । यह घड़ी इतनी उत्तम है । इस वक्त यह बंदर और बंदरिया डाली से कूद पड़े तो जमीन पर गिरते ही राजकुमार और राजकुमारी में परिवर्तित हो जाएंगे ।
बंदरिया मैंना की बात सुन रही थी सो उसने मैना वाली सारी बात बंदर को कह सुनाई और तुरंत एक साथ जमीन पर कूद पड़ने
का आग्रह किया । लेकिन देह अभिमान में चूर बंदर ने उसकी बात न मानी और बोला जा तू ही पटरानी बन, मैं तो यूं ही ठीक हूं ।
बंदरिया समझदार थी । वह जानती थी कि समय जब हाथ से निकल जाता है तो केवल निराशा ही हाथ लगती है । वह कूद पड़ी और जमीन पर गिरते ही राजकुमारी बन गई ।
जब बंदर ने उसे राजकुमारी बनते देखा तो वह भी कूद पड़ा लेकिन तब तक समय परिवर्तन हो चुका था । इसीलिए परिणाम यह हुआ कि गिरते ही बंदर की टांगे टूट गई । वह रोने और पछताने लगा । उसे स्वयं से आत्मग्लानि हो रही थी । वह मैंना कि बात न मानने के कारण पश्चाताप में तड़पने लगा ।
वह कभी राजकुमारी की समझ को सराहता तो कभी टूटी टांग देख कर फड़फड़ाता ।
इतने में वहां से एक घुड़सवार राजकुमार और एक मदारी गुजरे । राजकुमार ने राजकुमारी को अपने घोड़े पर बिठाया और अपने राज्य की ओर चला गया । तथा मदारी ने बंदर को दो डंडे मारे और शहर में नचाने के लिए ले गया ।
👉 दुनिया एक वींरान रेगिस्तान की झाड़ियों के समान हो चुकी है ।आज संसार कांटो का जंगल बन चुका है । इसमें रहने वाले हर नर नारी का स्वभाव बंदरों के समान ही है अर्थात् आज के मानव को चाहे कितनी भी प्राप्ती कराना चाहे लेकिन वह देहअभिमान की डाली से उतर कर कुछ भी सुनना नहीं चाहता ।
आज संगमयुग अति श्रेष्ठ समय पुनः आ पहुंचा है । परमपिता परमात्मा इस श्रेष्ठ समय की संपूर्ण विश्व को स्मृति दिला रहे हैं और इस स्वर्णिम संदेश अर्थात् शिव के ज्ञान को सुनकर लाखों नर नारी अपने परिवेश को बदल रहे हैं, देह भान की डाली से कूदकर बंदर जैसी वृत्ति और कृति से निवृत्त हो मंदिर लायक और गायन और पूजन योग्य बन गए ।
और कुछ बन रहे हैं ।
आप भी संदेश का लाभ निशुल्क ले सकते हैं अर्थात् स्वयं के जीवन से कलह- क्लेश, ईर्ष्या, द्वेष बीमारियां और बुरी वृत्तियों को मिटा सकते हैं । जिससे आपके जीवन का उत्थान होगा । अधिक देर न लगाएं वरना यह श्रेष्ठ घड़ी गुजर जाएगी ।
प्रेरणादायी कहानिय👇🏻 Nayisoch2020.blogspot.com
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✍ एक जंगल में वटवृक्ष था । जिस पर एक बंदर और उसकी बंदरिया रहती थी । एक दिन अचानक वहां तोता मैना उसी वृक्ष की डाली पर आकर बैठे ।
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बंदरिया मैंना की बात सुन रही थी सो उसने मैना वाली सारी बात बंदर को कह सुनाई और तुरंत एक साथ जमीन पर कूद पड़ने
का आग्रह किया । लेकिन देह अभिमान में चूर बंदर ने उसकी बात न मानी और बोला जा तू ही पटरानी बन, मैं तो यूं ही ठीक हूं ।
बंदरिया समझदार थी । वह जानती थी कि समय जब हाथ से निकल जाता है तो केवल निराशा ही हाथ लगती है । वह कूद पड़ी और जमीन पर गिरते ही राजकुमारी बन गई ।
जब बंदर ने उसे राजकुमारी बनते देखा तो वह भी कूद पड़ा लेकिन तब तक समय परिवर्तन हो चुका था । इसीलिए परिणाम यह हुआ कि गिरते ही बंदर की टांगे टूट गई । वह रोने और पछताने लगा । उसे स्वयं से आत्मग्लानि हो रही थी । वह मैंना कि बात न मानने के कारण पश्चाताप में तड़पने लगा ।
वह कभी राजकुमारी की समझ को सराहता तो कभी टूटी टांग देख कर फड़फड़ाता ।
इतने में वहां से एक घुड़सवार राजकुमार और एक मदारी गुजरे । राजकुमार ने राजकुमारी को अपने घोड़े पर बिठाया और अपने राज्य की ओर चला गया । तथा मदारी ने बंदर को दो डंडे मारे और शहर में नचाने के लिए ले गया ।
👉 दुनिया एक वींरान रेगिस्तान की झाड़ियों के समान हो चुकी है ।आज संसार कांटो का जंगल बन चुका है । इसमें रहने वाले हर नर नारी का स्वभाव बंदरों के समान ही है अर्थात् आज के मानव को चाहे कितनी भी प्राप्ती कराना चाहे लेकिन वह देहअभिमान की डाली से उतर कर कुछ भी सुनना नहीं चाहता ।
आज संगमयुग अति श्रेष्ठ समय पुनः आ पहुंचा है । परमपिता परमात्मा इस श्रेष्ठ समय की संपूर्ण विश्व को स्मृति दिला रहे हैं और इस स्वर्णिम संदेश अर्थात् शिव के ज्ञान को सुनकर लाखों नर नारी अपने परिवेश को बदल रहे हैं, देह भान की डाली से कूदकर बंदर जैसी वृत्ति और कृति से निवृत्त हो मंदिर लायक और गायन और पूजन योग्य बन गए ।
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