राधे राधे

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🇲🇰प्रेरणादायी कहानियाँ🇲🇰

राधे राधे

एक बार में एक रिश्तेदार के यहाँ शादी में शामिल होने जा रहा था । बीच में हमारी बस सिरपुर बस स्टैंड पर रुकी ।

यहाँ पर बस 15 मिनट रुकने वाली थी । गर्मी का समय था और बस में बहुत गर्मी लग रही थी। मैने सोचा थोड़ा बाहर निकल कर घूम लू ताकि थोड़ी बहुत राहत मिले, और में बस के बाहर आ गया। मैने देखा कि एक बन्दा ठेले पर गन्ने के रस की दुकान लगाकर खड़ा है, और उसके पास अच्छी भीड़ लगी हुई है । जबकि वहाँ थोड़ी ही दूरी पर तीन-चार और रस वाले खड़े थे पर वहाँ पर एक दो ही लोग थे ।

मुझे उत्सुकता हुई की आखिर वजह क्या है क्योंकि लगभग सब चीजें समान थी पर भीड़ वहाँ ज्यादा क्यों थी । में उसके करीब गया और देखा उसके कपड़े मेले और बहुत पुराने से लग रहे थे । लेकिन वो रस वाला तंदुरुस्त के साथ उसके चेहरे पर रौनक थी । इतने में उस रस वाले ने इशारे से पूछा की रस पिलाऊँ क्या ? मैने इन्कार कर दिया तो उसने फिर इशारे से कहा बहुत बढ़िया रस हैं । तो मैंने हाँ कर दी, और वहाँ खड़ा होकर देखने लगा । वह हर एक से इशारों में बात कर रहा था । में समझ गया कि वह न बोल पाता था और न ही सुन पाता था ।

तो मुझे लगा कि शायद लोग उस पर दया करके यहाँ से रस पीते है । इसलिए यहाँ भीड़ रहती हैं । थोड़ी देर में मैने देखा एक गरीब परिवार के करीब सात लोगों ने रस पिया उसमें पाँच लोग बड़े थे और दो बच्चे । उन्होंने रस वाले को सौ का नोट दिया, तो उसने उन्हें पचास रुपये वापस लौटा दिए । जबकि दस रुपये के हिसाब से सत्तर रुपये होते हैं ।

मुझे एक पल के लिये लगा कि शायद यह भी कारण हो सकता है की इस बेचारे को हिसाब -किताब नहीं आता इसलिए भी लोग यहाँ ज्यादा आते है ।

पर में गलत था क्योंकि थोड़ी देर में एक मजदूर अपने बच्चे के साथ आया और उसने एक गिलास रस लिया । और एक गिलास खाली मांगा ताकि वह अपने बच्चे को भी उसमें से रस पिला सकें । पर रस वाले ने उस बच्चे को अपने रस वाले बर्तन में से गिलास भर कर दे दिया । उस मजदूर ने मना किया, तो उसने इशारे से कहा कि ये मेरी तरफ से है ।

वो गरीबों से उनके बच्चों के पैसे नहीं ले रहा था । मुझे समझते देर नहीं लगी की इस बन्दे के पास भीड़ क्यों है । ना ही उस पर कोई दया कर रहा था और ना ही उसके हिसाब में गड़बड़ इसकी वजह थी। भीड़ का कारण  उस बन्दे का दिल बहुत बड़ा था । और उस वक्त में अपने आपकों बहुत छोटा महसूस कर रहा था। क्योंकि उसकी अपेक्षा में ज्यादा सक्षम था पर मेरा दिल उसके मुकाबले बहुत छोटा था ।

में समझ चुका था की ये जो भीड़ उसके पास है, वो ईश्वर ही भेज रहा है याने उसकी मदद में वो प्यारा ईश्वर खुद खड़ा है ।

इन सब बातों से मुझे महसूस हुआ की हम साधारण से इंसान उसे देखकर उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाये तो वो ईश्वर इसकी अदा पर क्यों खुश नहीं होगा ।

 हर व्यक्ति जो भी जिस हाल में है वह अपनी हैसियत के हिसाब से नेकियाँ कर सकता हैं । और उसके ऐसा करने से उसका मालिक भी उस पर रहमत देने लगता हैं।

क्योंकि सन्तों ने कहा है कि यदि तुम एक गुना दान करोगे तो ईश्वर तुम्हें दस गुना ज्यादा देगा । इसी कारण से उस बन्दे के पास औरो के मुकाबले ज्यादा भीड़ थीं ।

में आज भी उस बन्दे की जब भी याद आ जाती है तो उसके लिए दुआ कर देता हूँ । और आप सब लोग भी उसके लिए दुआ करो क्योंकि ऐसे ही बन्दे हम सबको जीना सिखाते हैं ⚡
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🌹☝🏻🌹जय जय श्री राधे

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