युक्ति से मुक्ति

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युक्ति से मुक्ति

         एक बार पागलखाने में से एक पागल किसी तरह अपने कमरे से बाहर निकल गया  तीसरी मंजिल के कमरों के बाहर छत का जो हिस्सा थोड़ा बाहर निकला था, उस छज्जे पर जा खड़ा हुआ। और कुछ समय के बाद अचानक हस्पताल के  वार्डन ने जब देखा कि वह पागल अपने कमरे में नहीं है तो उसे ढूँढते - ढूँढते उसका ध्यान तीसरी मंजिल के बाहर की छज्जे पर गया। उसने सोचा कि अगर वह रोगी वहाँ से छलाँग लगा देगा या पागलपन में इस पर बेपरवाही से घूमेगा तो यह मर जायेगा। इस लिये कुछ अधिक सोचे बिना वह भागा और स्वयं भी वहाँ छज्जे पर जा पहुँचा। वहाँ पहुँचा कर उसने पागल से कहा - सुनाओ भाई, क्या हालचाल है ? यहाँ क्या कर रहे हो ? पागल बड़ी मस्ती से बोला - सोच रहा था कि जैसे पंक्षी पंख फैला कर उड़ते हुए नीचे उतरता है , मैं भी आज पंक्षी की तरह फर्श पर उतरूँ। ऐसा कहते हुए पागल ने मुँह को नीचे की ओर झुकाया और अपनी दोनों भुजाओं तथा हथेलियों को पीठ के पीछे ले जाकर पंख की तरह रूप दिया।

        वार्डन डर गया और चौका! उसने पागल को एक हाथ से तो थपथपाया और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ लिया ताकि वह कहीं नीचे छलाँग न लगा दे। परन्तु उसने देखा कि पागल में बल बहुत है और वह उसे पकड़ कर रोक नहीं सकेगा। उसे यह भी डर था कि अगर वह पागल को जबरदस्ती रोकेगा तो पागल कहीं उसे ही नीचे धक्का न दे दे। परन्तु कुछ ही क्षण में कुछ हो जाने वाला था, इसलिये जल्दी ही कुछ करना था।

      अचानक वार्डन को एक युक्ति सूझी। उसने मुस्कुराते हुए और दोस्ताना तरीके से पागल को कहा - वाह भाई वाह, आप जो करना चाहते हो वह कोई बड़ी बात तो है नहीं। आप तो कोई बड़ा काम करके दिखाओ। और, मुझे विश्वास है कि आप विशेष काम कर सकते है। पागल ने कहा - अच्छा, सुनाओ दोस्त, अगर यह बड़ा काम नहीं है तो और क्या चाहते हो ? तब वार्डन ने कहा - ऊपर से नीचे तो कोई भी जा सकता है पर फर्श से अर्श की ओर एक पंक्षी की तरह उड़ कर दिखाओ। और पंख तो आपको लगे हुए है। चलो आओ, हम दोनों एक-साथ नीचे से ऊपर की ओर उड़ेंगे। यह कहते हुए वह पागल की अंगुली प्यार से पकड़ते हुए उसे कमरे के रस्ते से नीचे ले चला। इस प्रकार उसने पागल की भी जान बचाई और अपना कर्तव्य भी निभाया। अगर वह पागल से जोर-जबरदस्ती या हाथापाई करता तो दोनों ही धड़ाम से धराशायी होते। तो सच है कि युक्ति से ही दोनों की (मौत के मुँह से ) मुक्ति हुई।

सीख - बहुत बार हम बुरे फस जाते या परस्तिथी अनुकूल नहीं होती है। तब युक्ति से ही छुटकारा प् सकते है इस लिये युक्ति से मुक्ति कहा गया है।

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