सोने से पहले खुद पढ़े और बच्चों को जरूर सुनाएं अमूल्य निधि

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*👉🏿सोने से पहले खुद पढ़े और बच्चों को जरूर सुनाएं*

      *👉🏼अमूल्य निधि*


एक मछुआरा था वह रोज मछली पकड़ने जाया करता था। नित्य की भांति आज भी उसने अपना जाल उठाया और नदी की ओर चल पड़ा। नदी पहुंचकर उसने देखा कि अभी दिन  पूरी तरह से नहीं निकला उजाला होने में देर है,तो वह नदी के किनारे-किनारे ही इधर उधर  टहलने लगा। टहलते-टहलते अचानक उसके पैरों से कोई सख्त सी चीज टकराई। उसने झुककर वह चीज उठाई तो पाया कि नन्हे-नन्हे पत्थरों से भरी हुई एक छोटी-सी थैली है।

सूरज निकलने में अभी भी कुछ देर थी इसलिए मछुआरे ने जाल एक तरफ रख दिया और समय गुजारने के लिए उसने पोटली से एक पत्थर लिया और नदी में फेंक दिया। उसके पानी में गिरते ही 'गुप्' की आवाज आई,उसे वो आवाज अच्छी लगी और उसने उसे *टाइम पास* का माध्यम बना लिया। फिर वह एक के बाद एक उन पत्थरों को नदी में फेंकने लगा।
ऐसा करते-करते आखरी में मछुआरे के हाथ में अंतिम पत्थर बचा था। वह इसे भी फेंकने ही वाला था लेकिन तबतक थोड़ा उजाला हो चुका था। सूरज की हल्की रोशनी में उसने देखा कि उसके हाथ में पत्थर नहीं बल्कि एक बहुमूल्य बेशकीमती हीरा था । वह यह देखकर बहुत पछताया कि उसने यह क्या कर डाला।, कास उसने  इन्हें पहले देख लिया होता ,सम्भाल लिया होता,नही फेकता तो उसका इस जीवन सहित कई पीढ़ियों तक कि दरिद्रता मिट गयी होती। मछुआरे को अपनी नादानी पर बहुत अफसोस हुआ। लेकिन अब     *"अब पछताए क्या होत है*
*जब चिड़िया चुग गई खेत ।"*

हमारे साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है। *हमारे जीवन मे ऐसी बहुत सी चीजें और कार्य होते हैं जिन्हें हम मछुआरे की भांति कीमती चीजों को अपनी अज्ञानतावश या नादानी के कारण योंही बर्बाद करते रहते हैं अथवा उनका सदुपयोग नहीं करते। चाहे वो बेसकीमती समय हो,प्रतिभा हो या अवसर।*

*इनमे भी समय सबसे महत्त्वपूर्ण है। शुरू में हम उसकी कीमत नहीं समझते और जिस दिन कीमत समझ में आती है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।*
युगऋषि पं.श्रीरामशर्मा ने कहा है…
 *जीवन का अर्थ है 'समय',जो जीवन से प्यार करते हैं वो व्यर्थ में समय न गवाएँ।*
       बात बिल्कुल सही है,इस तरह कीमती व दुर्लभ समय सिर्फ 'टाइम पास' में गुजार दिया जाए, कहाँ की समझदारी है यह किसी भी तरह से उचित अथवा सार्थक नहीं।

*'अभी भी समय है।'*
*जब जागो तभी सवेरा  हम छात्र हैं, बिजनेसमैन,नोकरीपैसा वाले हैं या कुछ और,हर किसी के पास समय के साथ कुछ विशेष प्रतिभा/क्वालिटी,पैसा,उम्र,अवसर आदि जरूर है। उन्हें अंधेरे का बहाना बनाकर  मछुआरे की भांति नष्ट मत कीजिए। जागरूक होकर इनका सदुपयोग करते हुए  दिनभर में ऐसा अच्छा काम अवश्य कीजिए ताकि शाम को बिस्तर पर जाएँ तो उसे याद कर परमात्मा को धन्यवाद देते हुए शुकून  की नींद ले सकें।*

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