हृदय मंदिर के अंदर संतोष
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🇲🇰प्रेरणादायी कहानियाँ🇲🇰
*❗हृदय मंदिर के अंदर संतोष ❗*
👉 *जब कभी किसी दुःखद घटना से तुम्हारा मन खिन्न हो रहा हो, निराशा के बादल चारों ओर छाए हुए हों, असफलता के कारण चित्त दुःखी बना हुआ हो, भविष्य की आशंका सामने खड़ी हुई हो बुद्धि किंकर्तव्यविमूढ़ हो रही हो, तो इधर_उधर मत भटको ।* उस लोमड़ी को देखो, वह शिकारी कुत्तों से घिरने पर भागकर अपनी गुफा में घुस जाती है और वहाँ संतोष की साँस लेती है ।
👉 ऐसे विषम अवसरों पर सब ओर से अपने चित्त को हटा लो और अपने हृदय मंदिर में चले जाओ । *बाहर की समस्त बातों को बिलकुल भूल जाओ ।* पाप-तापों को द्वार पर छोड़कर जब भीतर जाने लगोगे तो मालूम पड़ेगा कि एक एक बड़ा भारी बोझ, जिसके भार से गरदन टूटी जा रही थी, उतर गया और तुम बहुत ही हलके, रूई के टुकड़े की तरह हलके हो गए हो । हृदय-मंदिर में इतनी शान्ति मिलेगी, जितनी ग्रीष्म तपे हुए व्यक्ति को बर्फ से भरे हुए कमरे में मिलती है । *कुछ ही देर में आनंद की झपकियाँ लेने लगोगे ।*
👉 हृदय के इस सात्विक स्थान को ब्रह्मलोक या गोलोक भी कहते हैं क्योंकि इसमें पवित्रता, प्रकाश और शान्ति का ही निवास है । *परमात्मा ने हमें स्वर्ग-सोपान सुख प्राप्त करने के लिए दिया है, किंतु अज्ञानतावश मनुष्य उसे जान नहीं पाते ।*
प्रेरणादायी कहानिय👇🏻 Nayisoch2020.blogspot.com
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👉 *जब कभी किसी दुःखद घटना से तुम्हारा मन खिन्न हो रहा हो, निराशा के बादल चारों ओर छाए हुए हों, असफलता के कारण चित्त दुःखी बना हुआ हो, भविष्य की आशंका सामने खड़ी हुई हो बुद्धि किंकर्तव्यविमूढ़ हो रही हो, तो इधर_उधर मत भटको ।* उस लोमड़ी को देखो, वह शिकारी कुत्तों से घिरने पर भागकर अपनी गुफा में घुस जाती है और वहाँ संतोष की साँस लेती है ।
👉 ऐसे विषम अवसरों पर सब ओर से अपने चित्त को हटा लो और अपने हृदय मंदिर में चले जाओ । *बाहर की समस्त बातों को बिलकुल भूल जाओ ।* पाप-तापों को द्वार पर छोड़कर जब भीतर जाने लगोगे तो मालूम पड़ेगा कि एक एक बड़ा भारी बोझ, जिसके भार से गरदन टूटी जा रही थी, उतर गया और तुम बहुत ही हलके, रूई के टुकड़े की तरह हलके हो गए हो । हृदय-मंदिर में इतनी शान्ति मिलेगी, जितनी ग्रीष्म तपे हुए व्यक्ति को बर्फ से भरे हुए कमरे में मिलती है । *कुछ ही देर में आनंद की झपकियाँ लेने लगोगे ।*
👉 हृदय के इस सात्विक स्थान को ब्रह्मलोक या गोलोक भी कहते हैं क्योंकि इसमें पवित्रता, प्रकाश और शान्ति का ही निवास है । *परमात्मा ने हमें स्वर्ग-सोपान सुख प्राप्त करने के लिए दिया है, किंतु अज्ञानतावश मनुष्य उसे जान नहीं पाते ।*
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